Sunday, December 16, 2007

आवाज़ें- जो हमें बीती यादों में ले जाती हैं

आज इतनी आवाज़ों के बीच हमें ये आवाज़ें कितनी अपनी सी लगती हैं. ये उन दिनों की ध्वनियाँ हैं जब बुद्धू बक्सा उतना बुद्धू नहीं था. हमारे सामने इतिहास और संस्कृति जिस रोचक अंदाज़ में अनफोल्ड हो रही थी, ऐसा लगता था कि हमने इतिहास क्या पढा, घास काटी थी. हमारी उबाऊ शिक्षा-पद्धति पर ऐसा सीरियल हज़ार गुना भारी था. यहाँ मैं भारत एक खोज का ओपनिंग साँग पहले जारी कर चुका हूँ . अब पेश है क्लोज़िंग साँग भी- ओपनिंग वाले के साथ.

एपिसोड-11, चाणक्य और चन्द्रगुप्त पार्ट-1 का शुरुआती दृश्य
सत्यदेव दुबे और रवि झाँकल


सृष्टि से पहले सत नहीं था


वह था हिरण्यगर्भ सृष्टि से पहले विद्यमान

मीटर

आना जाना लगा रहेगा, एक आयेगा एक जायेगा